जिनको भेजा
दर्द कहेंगे ,
वे सब जा बैठे महलों में।
अपने बीच
रहे खोली में ,
फ़ाके थे केवल झोली में ,
बातों में
वे कान कतरते ,
काने थे अन्धी टोली में ,
बड़े - बड़ों के आगे - पीछे
रहते सेवा में ,
टहलों में।
बदल गया रँग
खरबूजे सा ,
खरबूजों को देख - देखकर ,
सीख गये वे
बिना पंख के उड़ना ,
जैसे उड़े कबूतर ,
दुग्गी से बढ़कर होती है ,
अब उनकी गिनती दहलों में।
बिछी जाजमों
गादी बैठे ,
सुख - सुविधा पाँवों के नीचे ,
कौन मर रहा ,
कौन जी रहा ,
फ़िक्र न सबसे आँखें मींचे ,
चालाकी , साज़िश , बेशर्मी ,
उनकी चालों में ,
पहलों में।
- श्रीकृष्ण शर्मा
( कृपया इसे पढ़ कर अपने विचार अवश्य लिखें | आपके विचारों का स्वागत है | धन्यवाद | )
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पुस्तक - '' अँधेरा बढ़ रहा है '' , पृष्ठ - 69 , 70
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सुनील कुमार शर्मा
पी . जी . टी . ( इतिहास )
पुत्र – स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय ,
पचपहाड़ , जिला – झालावाड़ , राजस्थान .
पिन कोड – 326512
फोन नम्बर - 9414771867
सामयिक परिदृश्य को इंगित करती सार्थक प्रस्तुति ...
ReplyDeleteधन्यवाद कविता जी एवं मयंक जी |
ReplyDeleteधन्यवाद कविता जी एवं मयंक जी |
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