शीश नहीं ,
हम तो बस सिर्फ़ हैं कबन्ध।
अपना तो परिचय है
- जाफ़र - जयचन्द।
खड़े हुए
काई पर पाँव धरे ,
बड़े हुए
मगर बँटे औ ' बिखरे ;
नाटक के पात्रों - सा
रखकर सम्बन्ध।
अपना तो परिचय है
- जाफ़र - जयचन्द।
स्वर्ण - कलश
पर हम हैं छेर पड़ी ,
जीवन - रस
में हम हैं विषखपड़ी ;
स्वार्थों से किया सदा
हमने अनुबन्ध।
अपना तो परिचय है
- जाफ़र - जयचन्द।
नदियों को
जब चाहा सोख लिया ,
सदियों को
बढ़ने से रोक दिया ;
सुनने में थे सदैव
हम ललित निबन्ध।
अपना तो परिचय है
- जाफ़र - जयचन्द।
- श्रीकृष्ण शर्मा
( कृपया इसे पढ़ कर अपने विचार अवश्य लिखें |आपके विचारों का स्वागत है |धन्यवाद |
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पुस्तक - '' एक नदी कोलाहल '' , पृष्ठ - 37
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सुनील कुमार शर्मा
पी . जी . टी . ( इतिहास )
पुत्र – स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय ,
पचपहाड़ , जिला – झालावाड़ , राजस्थान .
पिन कोड – 326512
फोन नम्बर - 9414771867
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