Saturday, November 28, 2015

'' धूम - धुआँरे वर्तमान में '' नामक नवगीत , कवि स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा के नवगीत - संग्रह - '' अँधेरा बढ़ रहा है '' से लिया गया है -









        चले आ रहे 
        घोड़े दौड़े ,
        जैसे रेसकोर्स हो अम्बर । 
हवा गुदगुदाती आ - आकर 
अलसायी  पोखरिया सिहरी ,
कदमताल कर रहीं ताल में 
लहरें होकर दुहरी - तिहरी ,
        फिसल - फिसल 
        हिमखण्ड आ रहे ,
        लिये हुए सर , सरि या सागर । 

बरखा ने कंघी - चोटी कर 
फैंक दिया गुच्छा बालों का ,
उसे लिये जाता हाथों में 
वह शैतान हवा का झोंका ,
        दृश्य देख 
        गुनगुना उठे हैं ,
        रोमांचित हो जोगी तरुवर । 

नदिया की मांसल बाँहों में 
बाँध कर रेत पिघल कर खोया ,
मेघ परी ने अर्पित कर सब 
ऊसर मध्य हरापन बोया ,
        धूम - धुँआरे 
        वर्तमान में ,
        इन्द्रधनुष के स्वर्णिम अक्षर । 


                             - श्रीकृष्ण शर्मा 

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पुस्तक - '' अँधेरा बढ़ रहा है ''  ,  पृष्ठ - 24 , 25

sksharmakavitaye.blogspot.in
shrikrishnasharma.wordpress.com

सुनील कुमार शर्मा  
पुत्र –  स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय ,
पचपहाड़ , जिला – झालावाड़ , राजस्थान .
पिन कोड – 326512
फोन नम्बर - 9414771867
                  

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