संध्या - एक
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बैठ गयी है
ऊपर चढ़ कर धूप
नीम पर ,
लेकिन
साड़ी का पल्लू
लटका मुँडेर पर ।
दिन भर
चल कर थका
और माँदा ये सूरज ,
फिसला चला जा रहा
घाटी की ढलान से ।
खेत चुग रहे पाखी
अब उड़ चले गगन में ,
जब कि चलायी गोफन
संध्या ने मचान से ।
बोझिल क़दमों लौट रही है
हवा भीलनी ,
अपने आँचल में
मादक महुआ समेत कर ।
घनी झाड़ियों
अलसाया - ऊँघता पड़ा था
दिन भर रीछ - सरीखा तम ,
अब बढ़ा आ रहा ।
निकल - निकल कर
अन्दर से आ रहीं तरैयाँ ,
देख रहीं
नंगा जंगल
दूधों नहा रहा ।
शहर बदर थी
जो वीरानी औ ' सूनापन ,
बस्ती में लाता
सन्नाटा उन्हें घेर कर ।
- श्रीकृष्ण शर्मा
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पुस्तक - '' अँधेरा बढ़ रहा है '' , पृष्ठ - 15 ' 16
सुनील कुमार शर्मा
पुत्र – स्व. श्रीकृष्ण शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय ,
पचपहाड़ , जिला – झालावाड़ , राजस्थान .
पिन कोड – 326512
फोन नम्बर - 9414771867
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