चले आ रहे
घोड़े दौड़े ,
जैसे रेसकोर्स हो अम्बर ।
हवा गुदगुदाती आ - आकर
अलसायी पोखरिया सिहरी ,
कदमताल कर रहीं ताल में
लहरें होकर दुहरी - तिहरी ,
फिसल - फिसल
हिमखण्ड आ रहे ,
लिये हुए सर , सरि या सागर ।
बरखा ने कंघी - चोटी कर
फैंक दिया गुच्छा बालों का ,
उसे लिये जाता हाथों में
वह शैतान हवा का झोंका ,
दृश्य देख
गुनगुना उठे हैं ,
रोमांचित हो जोगी तरुवर ।
नदिया की मांसल बाँहों में
बाँध कर रेत पिघल कर खोया ,
मेघ परी ने अर्पित कर सब
ऊसर मध्य हरापन बोया ,
धूम - धुँआरे
वर्तमान में ,
इन्द्रधनुष के स्वर्णिम अक्षर ।
- श्रीकृष्ण शर्मा
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पुस्तक - '' अँधेरा बढ़ रहा है '' , पृष्ठ - 24 , 25
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सुनील कुमार शर्मा
पुत्र – स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय ,
पचपहाड़ , जिला – झालावाड़ , राजस्थान .
पिन कोड – 326512
फोन नम्बर - 9414771867
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद ओंकार जी
ReplyDeleteधन्यवाद ओंकार जी
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