साँझ - सुबह के मध्य अवस्थित झील रात की ,
भरी हुई है अँधियारे से ।
नीली - नीली लहर नींद की उठतीं - गिरतीं ,
अवचेतन मन की कितनी ही नावें तिरतीं ,
कुण्ठाओं के कमल खिले हैं
सपनों - जैसे ।
साँझ - सुबह के मध्य अवस्थित झील रात की ,
भरी हुई है अँधियारे से ।
इसी झील के तट पर पेड़ गगन है वट का ,
काला बादल चमगादड़ - सा उल्टा लटका ,
शंख - सीप नक्षत्र रेत में
हैं पारे - से ।
साँझ - सुबह के मध्य अवस्थित झील रात की ,
भरी हुई है अँधियारे से ।
नंगी नहा रहीं प्रकाश की लाख बेटियाँ ,
तट पर बैठीं बाथरूम - गायिका झिल्लियाँ ,
खग चीखे -
वह डूब रहा है चाँद ,
बचा लो
गहरे में से ।
साँझ - सुबह के मध्य अवस्थित झील रात की ,
भरी हुई है अँधियारे से ।
- श्रीकृष्ण शर्मा
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पुस्तक - '' अँधेरा बढ़ रहा है '' , पृष्ठ -22 , 23
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सुनील कुमार शर्मा
पुत्र – स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय ,
पचपहाड़ , जिला – झालावाड़ , राजस्थान .
पिन कोड – 326512
फोन नम्बर - 9414771867
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