सच है , आज अँधेरे में हम !!
रचा कभी उजियारा हमने ,
आज मावसी घेरे में हम !
सच है , आज अँधेरे में हम !!
जुगनू अब अम्बर हथियाये ,
अंधों ने सूरज लतियाये ,
बौने शीर्ष शिखर कब्जाये ,
किन्तु जीत कर भी हम हारे ,
उफ़ , गूँगों - बहरों के द्वारे ,
इस दुनियावी खेरे में हम !
सच है , आज अँधेरे में हम !!
- श्रीकृष्ण शर्मा
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पुस्तक - '' अँधेरा बढ़ रहा है '' , पृष्ठ - 19
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सुनील कुमार शर्मा
पुत्र – स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय ,
पचपहाड़ , जिला – झालावाड़ , राजस्थान .
पिन कोड – 326512
फोन नम्बर - 9414771867
सच है , आज अँधेरे में हम !!...अधूरा वाक्य है ..रचा कभी उजियारा हमने ,...क्या उजियारा रचने-रचाने की वस्तु है...अस्पष्ट शब्दावली है ...वस्तुतः यह नवगीत विधा की ही कमी है ..अस्पष्टता ..
ReplyDeleteश्याम जी कविताओं में भाव होते हैं | कल्पनाएँ होती हैं | अलंकार होते हैं
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