हम अजित , पर जन्म से ही
पराजय का शाप ढोते ,
पुत्र सूरज के , घिरे हम , अन्ध तम - घन !
क्या न हम थे साहसी
या किसी कौशल में कमी थी ?
जब कि केन्द्रित लक्ष्य पर ही
दृस्टि ये अपनी जमी थी ;
किन्तु क्या चक्कर चला जो
देखते ही रह गए हम ,
औन - पौनों को मिला वह लक्ष्य - भेदन !
हम अजित , पर जन्म से ही.....
बुद्धि , प्रतिभा , श्रम , सभी में
आज भी हम श्रेष्ठतम हैं ,
ज़िन्दगी की दौड़ में पर
आज अपना अन्त्य क्रम है ;
खड़े हैं बौने शिखर पर
और हम हैं तलहटी में ,
जंगलों के बीच बनते सिर्फ ईंधन !
हम अजित , पर जन्म से ही.....
कहें अपनी बदनसीबी
या समय का फेर कह दें ,
ले कवच - कुण्डल हमारे ,
हमारे ही हमें शह दें ;
और ऐसे में धुनें सिर
या कि कोसें मूर्खता को ,
पढ़ रहे खुद के लिए खुद मंत्र मारन !
हम अजित , पर जन्म से ही.....
धूत वह , वह लाखघर , वन....
- वास यह , ये मंत्रणाएँ ;
सिर्फ़ धोखे और छल की
रूप लेती मंत्रणाएँ ;
देखते सब , जानते सब ,
सब्र करके सह रहे पर
अग्निवर्णी नयन में है तड़ित - तर्जन !
हम अजित , पर जन्म से ही
पराजय का शाप ढोते ,
पुत्र सूरज के , घिरे हम , अन्ध तम - घन !
- श्रीकृष्ण शर्मा
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पुस्तक - '' अँधेरा बढ़ रहा है '' , पृष्ठ - 75 , 76
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सुनील कुमार शर्मा
पुत्र – स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय ,
पचपहाड़ , जिला – झालावाड़ , राजस्थान .
पिन कोड – 326512
फोन नम्बर - 9414771867
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