Thursday, December 24, 2015

'' खड़े हैं बौने शिखर पर '' नामक नवगीत , स्व, श्री श्रीकृष्ण शर्मा के नवगीत संग्रह - '' अँधेरा बढ़ रहा है '' से लिया गया है -









          हम अजित , पर जन्म से ही 
          पराजय का शाप ढोते ,
          पुत्र सूरज के , घिरे हम , अन्ध तम - घन !

क्या न हम थे साहसी 
या किसी कौशल में कमी थी ?
जब कि केन्द्रित लक्ष्य पर ही 
दृस्टि ये अपनी जमी थी ;
          किन्तु क्या चक्कर चला जो 
          देखते ही रह गए हम ,
         औन - पौनों  को मिला वह लक्ष्य - भेदन !
                      हम अजित , पर जन्म से ही..... 

बुद्धि , प्रतिभा , श्रम , सभी में 
आज भी हम श्रेष्ठतम हैं ,
ज़िन्दगी की दौड़ में पर 
आज अपना अन्त्य क्रम है ;
          खड़े हैं बौने शिखर पर 
         और हम हैं तलहटी में ,
         जंगलों के बीच बनते सिर्फ ईंधन !
                    हम अजित , पर जन्म से ही..... 

कहें अपनी बदनसीबी 
या समय का फेर  कह दें ,
ले कवच - कुण्डल हमारे ,
हमारे ही हमें शह दें ;
          और ऐसे में धुनें सिर 
          या कि कोसें मूर्खता को ,
          पढ़ रहे खुद के लिए खुद मंत्र मारन !
                    हम अजित , पर जन्म से ही..... 

धूत वह , वह लाखघर , वन....    
- वास यह , ये मंत्रणाएँ ;
सिर्फ़ धोखे और छल की 
रूप लेती मंत्रणाएँ ;
         देखते सब , जानते सब ,
        सब्र करके सह रहे पर 
                   अग्निवर्णी नयन में है तड़ित - तर्जन !

        हम अजित , पर जन्म से ही 
        पराजय का शाप ढोते ,
       पुत्र सूरज के , घिरे हम , अन्ध तम - घन !


                                           - श्रीकृष्ण शर्मा 

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पुस्तक - '' अँधेरा बढ़ रहा है ''  ,  पृष्ठ - 75 , 76

sksharmakavitaye.blogspot.in
shrikrishnasharma.wordpress.com

सुनील कुमार शर्मा  
पुत्र –  स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय ,
पचपहाड़ , जिला – झालावाड़ , राजस्थान .
पिन कोड – 326512
फोन नम्बर - 9414771867

1 comment:

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