Monday, December 21, 2015

'' रस - वृक्ष '' नामक नवगीत , कवि स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा के नवगीत संग्रह - '' अँधेरा बढ़ रहा है '' से लिया गया है -









         बैठो तो तनिक पास !!

गुज़र रहे पल यों ही ,
कर लें हम इन्हें ख़ास !
बैठो तो तनिक पास !!

नौंन - तेल - लकड़ी के 
माया - वन में उलझे ,
ज्ञात नहीं रूप - रंग -
रस के कब वृक्ष सजे ,
         अब तो सब जल - जल कर ,
         हैं बुझे - बुझे पलास !

बच्चों के हित रीती 
जीवन की सब केसर ,
पिघल गया सोना सब 
काया का भर - दुपहर ,
         एकान्तों रहा सदा 
         चिन्ताओं का निवास !

जिजीविषा के कारण 
मन अब भी राग लिये ,
रो - रो कर रोज़ हँसे ,
मर - मर कर रोज़ जिये ,
         ऐसे ही अमृत - क्षण ,
         छीज चले साँस - साँस !

रिश्ते हम बंजर से 
कब तलक निभायेंगे ?
इस उजाड़ ऊसर में 
असमय खो जायेंगे ?
         लिये हुए आँसू , ग़म ,
         सपने टूटे - उदास !

इतनी फुरसत न मिली 
कुछ पल अपने होते ,
कुछ कहते , कुछ सुनते ,
इन्द्रधनुष कुछ बोते ,
         बन जाते सावन औ '
         फागुन हम पुनः काश !
         बैठो तो तनिक पास !!

गुज़र रहे पल यों ही ,
कर लें हम इन्हें ख़ास !
बैठो तो तनिक पास !!


                      - श्रीकृष्ण शर्मा 

___________________
पुस्तक - '' अँधेरा बढ़ रहा है ''  ,  पृष्ठ - 49 , 50

sksharmakavitaye.blogspot.in
shrikrishnasharma.wordpress.com

सुनील कुमार शर्मा  
पुत्र –  स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय ,
पचपहाड़ , जिला – झालावाड़ , राजस्थान .
पिन कोड – 326512
फोन नम्बर - 9414771867


2 comments:

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