ये बदरा !
अटका रह गया
किसी नागफनी काँटे में ,
बिजुरी का ज्यों अँचरा !
ये बदरा !!
जल की चल झीलें ये ,
उड़ती हैं चीलों सी ,
झर - झर - झर झरती हैं
जलफुहियाँ खीलों - सी ,
पानी की सतह - सतह
बूँद के बतासे ये ,
फैंक दिये मेघों ने
खिसिया कर पाँसे ये
पीपल जो बेहद खुश
था अपनी बाजी पर ,
उसके ही सिर पर अब
गाज गिरी है अररा !
ये बदरा !!
व्योम के ढलानों पर
बरखा के बेटे ये ,
दौड़ - दौड़ हार गये ,
हार - हार बैठे ये ,
लेटे - अधलेटे ये
नक्षत्री नैन मूँदे
चन्दा के अँजुरी भर
स्वप्न सँजो बूँद - बूँद ,
अर्पित हो बिखर गये
भावुक समर्पण में
टूट गया जादू औ ''
टोनों का हर पहरा !
ये बदरा !!
बिना रीढ़ वाले ये
जामुनी अँधेरे - से ,
आर - पार घिरे हुए
सम्भ्रम के घेरे - से ,
धरती की साँसों की
गुँजलक में बँधे हुए ,
आते है सागर की
सुधियों से लदे - फँदे ,
आँखों में अंकित हैं
काया के इन्द्रधनुष ,
प्राणों में बीते का
सम्मोहन है गहरा !
ये बदरा !!
ये बदरा !
अटका रह गया
किसी नागफनी काँटे में ,
बिजुरी का ज्यों अँचरा !
ये बदरा !!
- श्रीकृष्ण शर्मा
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पुस्तक - '' अँधेरा बढ़ रहा है '' , पृष्ठ - 26 , 27 , 28
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सुनील कुमार शर्मा
पुत्र – स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय ,
पचपहाड़ , जिला – झालावाड़ , राजस्थान .
पिन कोड – 326512
फोन नम्बर - 9414771867
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