Saturday, June 27, 2015

हम वसंत - क्षण










हम वसंत - क्षण 
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हम पतझर से 
हम वसंत - क्षण जुड़ जायें !

वह गया हरापन ,
हुईं डालियाँ निरवंशी ,
हैं पेड़ खड़े 
धरती के होठों मृतवंशी ;
ठण्डे अहसासों से 
हम जीवित प्रण जुड़ जायें !

सूखे पत्तों 
उदास दृश्यों 
ऊँघते वक़्त से ग्रस्त हवा ,
मुझसे बिल्कुल सटकर आ बैठी 
पराजिता - सी त्रस्त हवा ;
हम गन्ध - फूल 
खिल - खिल आश्वासन जुड़ जायें !

                                             - श्रीकृष्ण शर्मा 

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पुस्तक - '' एक नदी कोलाहल ''  ,  पृष्ठ - 71









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