हम वसंत - क्षण
------------------
हम पतझर से
हम वसंत - क्षण जुड़ जायें !
वह गया हरापन ,
हुईं डालियाँ निरवंशी ,
हैं पेड़ खड़े
धरती के होठों मृतवंशी ;
ठण्डे अहसासों से
हम जीवित प्रण जुड़ जायें !
सूखे पत्तों
उदास दृश्यों
ऊँघते वक़्त से ग्रस्त हवा ,
मुझसे बिल्कुल सटकर आ बैठी
पराजिता - सी त्रस्त हवा ;
हम गन्ध - फूल
खिल - खिल आश्वासन जुड़ जायें !
- श्रीकृष्ण शर्मा
___________________________
पुस्तक - '' एक नदी कोलाहल '' , पृष्ठ - 71
sksharmakavitaye.blogspot.in
shrikrishnasharma.wordpress.com
No comments:
Post a Comment