Thursday, June 18, 2015

फ़ेहरिस्त लम्बी अभावों की : आदमी






फ़ेहरिस्त लम्बी अभावों की : आदमी 
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सिर्फ़ एक फ़ेहरिस्त लम्बी 
अब अभावों की ,
बन गया ज्यों बददुआ है 
- आदमी । 

अब पहाड़ों - सा खड़ा है 
दर्द सीने पर ,
कर्ज़ बढ़ता जा रहा 
हर दिन पसीने पर :
जी रहा है ज़िन्दगी 
अब बस दबावों की ,
रखा काँधे पर जुआ है 
- आदमी । 

जानता है 
किन्तु जो मजबूरियाँ ओढ़े ,
यदि न हो 
तो हर ज़रूरत को सहज छोड़े ;
किन्तु मन - बहलाब को 
गाथा भुलावों की ,
सिर्फ़ दुहराता सुआ है 
- आदमी । 

                                      - श्रीकृष्ण शर्मा 
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पुस्तक - '' एक नदी कोलाहल ''  ,  पृष्ठ - 64












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