हैं बींध रहे दुर्दिन , पर किसको लिखें पाती ?
चौहद्दियों सन्नाटा , हैं व्यूह तिलिस्माती !!
अय्यारों की बस्ती ये ,
सच की शिनाख़्त मुश्किल ,
है इनमें कौन दर्दी ,
है इनमें कौन क़ातिल ?
एक आँख रो रही है , एक आँख मुस्कराती।
चौहद्दियों सन्नाटा , है व्यूह तिलिस्माती !!
इस आग के सफर में
क्या चीखना चिल्लाना ?
बेरहम हवाओं में
कुछ और सुलग जाना
रिश्तों की देहरी पर , तामाशायी बाराती।
चौहद्दियों सन्नाटा , है व्यूह तिलिस्माती !!
पहरे पर खड़े अन्धे ,
हैं भाँजते तलवारें ,
राजा के भाग्य में हैं ,
बस ख़ौफ , घुटन हारें ,
बंजर उगीं घटनाएँ , जंगल हुए शहराती।
चौहद्दियों सन्नाटा , है व्यूह तिलिस्माती !!
है दर्द का समन्दर ,
हर साँस - साँस डूबी ,
फिर भी तो जिये जाती ,
ये ज़िन्दगी अजूबी ,
सौं साँसतों कबीरा की साखियाँ बतियातीं।
चौहद्दियों सन्नाटा , है व्यूह तिलिस्माती !!
- श्रीकृष्ण शर्मा
( कृपया इसे पढ़ कर अपने विचार अवश्य लिखें | आपके विचारों का स्वागत है| धन्यवाद | )
_______________________
पुस्तक - '' एक अक्षर और '' , पृष्ठ - 22
sksharmakavitaye.blogspot.in
shrikrishnasharma.wordpress.com
सुनील कुमार शर्मा
पी . जी . टी . ( इतिहास )
पुत्र – स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय ,
पचपहाड़ , जिला – झालावाड़ , राजस्थान .
पिन कोड – 326512
फोन नम्बर - 9414771867
धन्यवाद मयंक जी |
ReplyDelete