आँख में है
हर नमी के
त्रासदी !
दर्द का स्केल है : चेहरा ,
दुःखों की देहरी
हर पाँव ठहरा ,
बनी परवशता
सभी के बीच
चौहदी !
आँखों में है ...
आदमी है एक मुट्ठी धूल ,
रंग - खुशबू - फूल
खोंसे पल्लुओं में
शूल ;
ज़िन्दगी है दाँव पर ,
घेरे खड़े हैं
पारधी !
आँखों में है ...
हादसों में गीत
बनते बोल ,
चढ़े पशुओं के बदन पर
सभ्यता के खोल ;
दलदली है ,
किन्तु जादू की नदी है
ये सदी !
आँख में है ...
- श्रीकृष्ण शर्मा
( कृपया इसे पढ़ कर अपने विचार अवश्य लिखें | आपके विचारों का स्वागत है| धन्यवाद | )
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पुस्तक - '' अँधेरा बढ़ रहा है '' , पृष्ठ - 73 , 74
sksharmakavitaye.blogspot.in
shrikrishnasharma.wordpress.com
सुनील कुमार शर्मा
पी . जी . टी . ( इतिहास )
पुत्र – स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय ,
पचपहाड़ , जिला – झालावाड़ , राजस्थान .
पिन कोड – 326512
आपने लिखा...
ReplyDeleteकुछ लोगों ने ही पढ़ा...
हम चाहते हैं कि इसे सभी पढ़ें...
इस लिये आप की ये खूबसूरत रचना दिनांक 11/03/2016 को पांच लिंकों का आनंद के
अंक 238 पर लिंक की गयी है.... आप भी आयेगा.... प्रस्तुति पर टिप्पणियों का इंतजार रहेगा।
आपने कविता - '' ज़िन्दगी है दाँव पर '' को पसंद किया , इसके लिए बहुत - बहुत धन्यवाद | आप साहित्य के क्षेत्र में अच्छा कार्य कर रहे हैं |
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