
वर्षान्त के बिन बरसे बादलों को देखकर
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घिरे मेघ कल से , अभी तक न बरसे |
ये ऐसे निढाल औ ' थके - से पड़े हैं ,
ज्यों आये हों चल करके लम्बे सफ़र से |
ये निचिन्त थे , इसलिए सुर्खुरू थे ,
पड़े साँवले किन्तु अब किस फ़िकर से |
नहीं बूंद तक गाँठ में स्यात् इनके ,
दिखावा किये हैं मगर किस कदर से |
गिरा थाल पूजा का कुंकुम , हरिद्रा ,
अगरु , धूप , अक्षत - गये सब बिखर - से |
ये सूखे हुए रेत पर साँप लहरे ,
लकीरें बनीं , पर हैं ओझल नज़र से |
नहीं तृप्ति को दी है आशीष इनने ,
प्रतीक्षित नयन देखकर ये न हरषे |
घिरे मेघ कल से , अभी तक न बरसे |
- श्रीकृष्ण शर्मा
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पुस्तक - '' फागुन के हस्ताक्षर '' , पृष्ठ - 40
sksharmakavitaye.blogspot.in
shrikrishnasharma.wordpress.com
सुनील कुमार शर्मा
पी . जी . टी . ( इतिहास )
पुत्र – स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय ,
पचपहाड़ , जिला – झालावाड़ , राजस्थान .
पिन कोड – 326512
फोन नम्बर - 9414771867
बहुत सुन्दर ...
ReplyDeleteधन्यवाद प्रतिभा जी |
ReplyDeleteधन्यवाद प्रतिभा जी |
ReplyDeletedhanyvaad mayank ji
ReplyDeletedhanyvaad mayank ji
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