Monday, November 16, 2015

'' धूप छिपी '' नामक नवगीत , कवि स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा के नवगीत - संग्रह - '' अँधेरा बढ़ रहा है '' से लिया गया है -









मेघों से डर कर ,
धूप छिपी । 

चन्द्रमा 
दिख रहा है 
कुछ - कुछ ,
         रेत में ,
         अधढँकी पड़ीं सिपी । 
         मेघों से डर कर ,
         धूप छिपी । 

लगता 
घर है 
उराँव का ये ,
         अँगनई सभी है ,
         राख लिपी । 

मेघों से डर कर ,
धूप छिपी ।  


                        - श्रीकृष्ण शर्मा 

______________________
पुस्तक - '' अँधेरा बढ़ रहा है ''  ,  पृष्ठ -18

सुनील कुमार शर्मा  
पुत्र –  स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय ,
पचपहाड़ , जिला – झालावाड़ , राजस्थान .
पिन कोड – 326512
फोन नम्बर - 9414771867


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