Saturday, November 14, 2015

'' संध्या - एक '' नामक नवगीत , कवि स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा के नवगीत - संग्रह - '' अँधेरा बढ़ रहा है '' से लिया गया है -









संध्या - एक 
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बैठ गयी है 
ऊपर चढ़ कर धूप 
        नीम पर ,
        लेकिन 
        साड़ी का पल्लू 
        लटका मुँडेर पर । 

दिन भर 
चल कर थका 
और माँदा ये सूरज ,
फिसला चला जा रहा 
घाटी की ढलान से । 

        खेत चुग रहे पाखी 
        अब उड़ चले गगन में ,
        जब कि चलायी गोफन 
        संध्या ने मचान से । 
बोझिल क़दमों लौट रही है 
हवा भीलनी ,
अपने आँचल में 
मादक महुआ समेत कर । 
घनी झाड़ियों 
अलसाया - ऊँघता पड़ा था 
दिन भर रीछ - सरीखा तम ,
अब बढ़ा आ रहा । 
        निकल - निकल कर 
        अन्दर से आ रहीं तरैयाँ ,
        देख रहीं 
        नंगा जंगल 
        दूधों नहा रहा । 

शहर बदर थी 
जो वीरानी औ ' सूनापन ,
बस्ती में लाता 
सन्नाटा उन्हें घेर कर । 


                                   - श्रीकृष्ण शर्मा   

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पुस्तक - '' अँधेरा बढ़ रहा है ''  ,  पृष्ठ - 15 ' 16

सुनील कुमार शर्मा
पुत्र –  स्व. श्रीकृष्ण शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय ,
पचपहाड़ , जिला – झालावाड़ , राजस्थान .
पिन कोड – 326512
फोन नम्बर - 9414771867


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