Monday, December 28, 2015

'' अभिमन्यु की हत्या '' नामक नवगीत , स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा के नवगीत संग्रह - '' अँधेरा बढ़ रहा है '' से लिया गया है -









           छेद कर 
           जैसे कलेजे में 
           गगन के कील ,
           हत्यारे - सरीखा है खड़ा
           दुर्दम्य - ऊँचा ताड़ ,
           बौने पेड़ ठठ के - ठठ
           अवश - निरुपाय ।     

जैसे -
द्रौपदी कौरव - सभा में 
लाज को रोती ,
दुःशासन पाशविकता में लगाता कहकहे ,
सहमा हुआ स्वर सुन नहीं पड़ता 
निरर्थक शोर में । 
           आसनों धृतराष्ट्र की औलाद 
           बैठी भोगतीं सुख और सुविधा 
           पाण्डवों का हक़ । 

और 
रच दुष्चक्र ,
जन - जन को रुपहली जिन्दगी से काट 
निर्वासन - अवधि को काटने 
भेजा किसी अज्ञात पथ पर । 
           और 
           महँगाई - अभावों का बना कर व्यूह ,
           मार डाला 
           चेतनायुत - ऊर्जस्वित अभिमन्यु । 


                                   - श्रीकृष्ण शर्मा 

_________________________
पुस्तक - '' अँधेरा बढ़ रहा है ''  ,  पृष्ठ - 62 , 63

sksharmakavitaye.blogspot.in
shrikrishnasharma.wordpress.com

सुनील कुमार शर्मा  
पुत्र –  स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय ,
पचपहाड़ , जिला – झालावाड़ , राजस्थान .
पिन कोड – 326512
फोन नम्बर - 9414771867

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