Tuesday, December 15, 2015

'' ये बदरा '' नामक नवगीत , कवि स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा के नवगीत संग्रह - '' अँधेरा बढ़ रहा है '' से लिया गया है -









ये बदरा !
अटका रह गया 
किसी नागफनी काँटे में ,
बिजुरी का ज्यों अँचरा !
        ये बदरा !!

जल की चल झीलें ये ,
उड़ती हैं चीलों सी ,
झर - झर - झर झरती हैं 
जलफुहियाँ खीलों - सी ,
       पानी की सतह - सतह 
      बूँद के बतासे ये ,
      फैंक दिये मेघों ने 
      खिसिया कर पाँसे ये  
पीपल जो बेहद खुश 
था अपनी बाजी पर ,
उसके ही सिर पर अब 
गाज गिरी है अररा !
       ये बदरा !!

व्योम के ढलानों पर 
बरखा के बेटे ये ,
दौड़ - दौड़ हार गये ,
हार - हार बैठे ये ,
      लेटे  - अधलेटे ये 
      नक्षत्री नैन मूँदे 
      चन्दा के अँजुरी भर 
      स्वप्न सँजो बूँद - बूँद ,
अर्पित हो बिखर गये 
भावुक समर्पण में 
टूट गया जादू औ ''
टोनों का हर पहरा !
       ये बदरा !!

बिना रीढ़ वाले ये 
जामुनी अँधेरे - से ,
आर - पार घिरे हुए 
सम्भ्रम के घेरे - से ,
       धरती की साँसों की 
       गुँजलक में बँधे हुए ,
       आते है सागर की 
       सुधियों से लदे - फँदे ,
आँखों में अंकित हैं 
काया के इन्द्रधनुष ,
प्राणों में बीते का 
सम्मोहन है गहरा !
       ये बदरा !!

ये बदरा !
अटका रह गया 
किसी नागफनी काँटे में ,
बिजुरी का ज्यों अँचरा !
      ये बदरा !!


                               - श्रीकृष्ण शर्मा 
_______________________
पुस्तक - '' अँधेरा बढ़ रहा है ''  ,  पृष्ठ - 26 , 27 , 28

sksharmakavitaye.blogspot.in
shrikrishnasharma.wordpress.com

सुनील कुमार शर्मा  
पुत्र –  स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय ,
पचपहाड़ , जिला – झालावाड़ , राजस्थान .
पिन कोड – 326512
फोन नम्बर - 9414771867

      

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