Monday, September 7, 2015

पुस्तक ( गीत - संग्रह ) - '' बोल मेरे मौन '' से लिया गीत --- '' शहर छोड़ आये पीछे ''









हम शहर छोड़ आये पीछे ,
आगे पहाड़ , जंगल व गाँव । 

वह भीड़ - भाड़ वह कोलाहल ,
वह रातों में भी जगर - मगर ;
लेकिन अब गाँव जहाँ पर है ,
बस मौन , मौन का नीरव स्वर ;

शहरी सुविधाओं का न नाम ,
है यहाँ अभावों का मुकाम ;

चाहे खीजैं , चाहे भीजैं ,
चलना ही होगा पाँव -पाँव । 

हम शहर छोड़ आये पीछे ,
आगे पहाड़ , जंगल व गाँव । 


                                     - श्रीकृष्ण शर्मा 

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पुस्तक - बोल मेरे मौन ''  ,  पृष्ठ - 50









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