Wednesday, August 19, 2015

पुस्तक ( गीत - संग्रह ) - । बोल मेरे मौन '' से लिया गीत --- '' वक्त की बात ''









बंधु , यह तो वक्त की है बात !!

सत्य को समझा गया जब झूठ ,
स्वत्व को माना गया जब लूट ,
उफ़ , मनाने पर नहीं माना 
सिरफिरा अपना गया जब रूठ ;

चाँदनी के घर कुहासा है ,
सिंधु जब नभ में रुआँसा है ,

बर्फ़ की तह है जमी मन पर ,
तप्त आतप का कि जब उत्पात !

बंधु , यह तो वक्त की है बात !!


                         - श्रीकृष्ण शर्मा 

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पुस्तक - '' बोल मेरे मौन ''  ,  पृष्ठ - 35









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